फासले…

फासले…

फासले बस… 
होते ही हैं फासले
क्योंकि…
बड़े दिलचस्प होते हैं ये फासले …

कभी पास रह कर भी 
हो जाते हैं ये फासले
और कभी रहो कितने भी दूर 
फिर भी… 
बीच में कहां आ पाते हैं 
ये फासले…

कभी सोच में भी आ जाते हैं 
ये फासले
दरिया से फैलते 
राहों से बढ़ते, पसरते 
कभी मंजिलों पर खड़े मिल जाते यूँ ही 
ये फासले…

कभी आसमान सी बुलन्दी लिये 
ये फासले 
कभी सदियों तक फिसलते 
पलकों पर ठिठकते रूकते
और कभी यूँ ही पलों में ढल जाते हैं
ये फासले...

रिसते सिसकते फासले 
संगींन हैं ये फासले…
क्योंकि…
बड़े ही दिलचस्प होते हैं 
ये फासले …

कभी बढ़ते, कभी सिमटते फासले
कभी मिटाये ना मिटते फासले
कभी काटो ना कटते फासले
कभी ख़ुद के बनाये फासले
कभी खुद ब ख़ुद ही बन जाते हैं 
ये फासले…

क्योंकि… 
फासले बस होते ही हैं फासले…
बड़े दिलचस्प होते हैं ये फासले…

लेकिन...
चाहो तो बस… 
मोम से ही होते हैं ये फासले
पहल करते ही पिघलते फासले
अब इतने भी बड़े नहीं होते हैं ये फासले… 
और इतनी दूर भी नहीं होते हैं फासले...

क्योंकि… 
फासले बस होते ही हैं फासले…
बड़े दिलचस्प होते हैं ये फासले…

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