परिवर्तन…

परिवर्तन…

समय के 
साथ-साथ
लोग बदलते हैं 
और 
आगे बढ़ जाते हैं…

आँगन में लेटकर 
तारे गिनते गिनते… 
जाने कब 
तारे 
आँचल में 
सिमट आते हैं…
हवा में बिखरे
महकते एहसास 
दिल से 
जुड़ जाते हैं…
आँखों में पलते सपने 
हक़ीकत बन जाते हैं…
और अरमानों के क़फिले 
दर ब दर 
गुज़रते जाते हैं… 

धीरे धीरे
दिल की बातें 
जो पहले 
पहुँचती थीं 
सीधे दिल तक
अब नहीं पहुँचतीं… 
अब इस रास्ते से 
दिल की नहीं 
दिमाग़ की, 
तर्कों की, 
कसौटी पर कसी
बातें आती हैं… 

धीरे धीरे
समय बदलता है
सोच बदलती है
परिस्थिति बदलती है
प्रकृति बदलती है
विचार बदलते हैं
सबक़ भी बदल जाते है
समस्याएँ बदलती हैं
समाधान भी बदलते हैं
सूरज के निकलने का 
ढलने का समय भी बदलता है

परिवर्तन…

नियम है जीवन का
और इस नियम के साथ ही
वरीयताएँ भी बदल जाती हैं
कोण-दृष्टिकोण बदलते हैं 
नज़रिये भी बदलते हैं
सुविधा के अनुसार 
पसंद नापसंद भी बदलती है
किनारे वहीं रह जाते हैं 
बस बहाव बदल जाता है
रूख बदल जाता है
तारे भी वहीं नहीं रहते 
वो भी जगह बदलते हैं

कुछ सवालों के जवाब 
बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिलते, 
क्योंकि 
उन सवालों के जवाब 
ज़िन्दगी को जी कर ही मिल पाते हैं… 

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