प्रेम दिवस
मित्रवर…आज ‘प्रेम दिवस’ है, कुछ लिखा है…
जीवन प्रेम से प्रारम्भ और समाप्त भी प्रेम पर ही अर्पण समर्पण भी प्रेम ही और तर्पण और तपस्या भी प्रेम प्रेम में विकल्प नहीं संकल्प है स्वयं पर विश्वास है प्रेम निष्ठा है स्वयं पर ही कृष्ण! तुम हो या ना हो मीरां तो है ही प्रेम दीवानी तुम पास हो कृष्ण! या ना हो राधा तो भूली ही है सुधबुध लक्ष्मण! तुम रहो कर्तव्यरत उर्मिला प्रेम में रही घर आँगन ही और कृष्ण! तुम राग में हो या रास में रुक्मिणी तो मर्यादित ही रहेगी प्रेम में प्रेम में कोई बिम्ब और आलम्बन नहीं अभिधा लक्षणा व्यंजना भी नहीं ना ही आभास और कल्पना एक ही रस है एक ही भाव है एक ही सुर है एक ही ताल है विराट हो या सूक्ष्म हो मुझमें हो या तुझमें हो प्रेम प्रेम है और बस प्रेम है...